पृष्ठ:भारत में अंगरेज़ी राज (दूसरी जिल्द).djvu/२१८

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दूसरे मराठा युद्ध का प्रारम्भ

प्रश्न दूसरे मराठा युद्ध का प्रारम्भ ६२६ अन्याय्यता का प्रश्न इंगलिस्तान की पार्लिमेण्ट के सामने पेश हुआ । सर फ़िलिप अॅन्सिस ने अपनी वत्कृता में पाजिमेण्ट में दूसरे मार्किस वेल्सली और उसके साथियों के छल मराठा युद्ध का - कपट, बसई की सन्धि की अन्याय्यता, मराठा नरेशों की श्राद्योपान्त निर्दोषिता, फ्रान्सीसियों के भय की निर्मलता और युद्ध के छेड़ने में कम्पनी की गईणीय स्वार्थपरायणता को बड़ी योग्यता और विस्तार के साथ सावित किया। भारत के साथ अंगरेजों के सम्पर्क को दर्शाते हुए सर फ़िलिप फ्रन्सिस ने कहा- "भारत के साथ हमारा सम्बन्ध कैसे शुरू हुमा, इसकी बाबत मुझे मापको यह याद दिलाने की आवश्यकता नहीं है कि शुरू में हमारा सम्बन्ध केवल तिजारत का था, किन्तु देशी नरेशों ने भी हम पर सन्देह नहीं किया, बल्कि हर तरह हमारे साथ अनुग्रह का व्यवहार किया। उन्होंने न केवल तिजारत करने और उससे खूब फ़ायदा उठाने के लिए हमें हर तरह की सुविधा प्रदान की, बल्कि यहाँ तक कि ऐसी ऐसी रिमायतें और माफ़ियाँ हमें दे दी जो उनकी अधिकांश प्रजा को भी प्राप्त न थीं । व्यापार की दृष्टि से, विदेशी कौमों के साथ अपनी तिजारत को बढ़ने का मौका देना देशी नरेशों के लिए बुद्धिमत्ता थी किन्तु जब कि उनको तिजारती आँख खुली हुई थी, उनकी राजनैतिक आँख बन्द थी। उन्होंने उन असूलों पर काम नहीं किया, जिन असूलों पर कि चीन वालों ने काम किया और जिनके कारण कि यूरोपियन कौमें चीन पर अपनी सत्ता जमाने में सफल न हो सकी।"* • " With regard to the ongin of our connection with India, it was