पृष्ठ:भारत में अंगरेज़ी राज (दूसरी जिल्द).djvu/२२७

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भारत में अंगरेज़ी राज

६३ भारत में अंगरेजी राज जनरल ने लेक को हिदायत की। हमें स्मरण रखना चाहिए कि उस समय तक अंगरेजों और सोंधिया में जाहिरा सम्बन्ध मित्रता का था और मित्रता की ही बातचीत बराबर जारी थी। दौलतराव सींधिया के विरुद्ध जिन भारतीय नरेशों के साथ मार्किस वेल्सली ने गुप्त साज़िशे शुरू की, उनमें सनार शाहमालम सबसे ऊपर नाम दिल्ली के मुगल सम्राट को सीधिया से शाहबालम का था। अपने २७ जुलाई के उस फोदना पत्र में, जिसका ज़िक्र ऊपर आ चुका है, मार्किस वेल्सली ने युद्ध के उद्देशों में से एक यह बताया था कि "दिल्ली सम्राट को नाम मात्र को सत्ता को अपने हाथों में ले लिया जायगा।" किन्तु इस पत्र के साथ हो गवरनर जनरल ने जनरल लेक के पास सम्राट शाहआलम के नाम एक दूसरा पत्र भेजा, जिसमें उसने लिखा- "सम्राट को पूरी तरह मालूम है कि ब्रिटिश सरकार के दिन में सम्राट और सम्राट के कुल की मोर सदैव किस तरह का मान और भक्ति रही है। "जिस समय से सम्राट ने दुर्भाग्यवश अपनी रक्षा का कार्य मराठों की सत्ता को सौंप दिया है, तब से अब तक सम्राट और सम्राट के उस कुल को जो जो हानि पहुँची है और जो जो अपमान सहने पड़े हैं, उन सब से माननीय कम्पनी को और भारत की ब्रिटिश सरकार को सदा दुख होता रहा है, और मुझे इस बात का गहरा रंज है कि अभी तक समय की परिस्थिति ने इस बात का मौका नहीं दिया कि अंगरेज़ बीच में पड़ कर अन्याय,