१२ भारत में अंगरेजी राज टीपू पर हमला करने से पहले उस पर कोई न कोई इलज़ाम ___लगाना ज़करी था। कहा गया कि टीपू अंगरेजों टोयू पर मूठे पर हमला करने वाला है, और इसके लिए - फासीसियों के साथ गुप्त षड्यन्त्र रच रहा है। बयान किया गया कि मारीशस के टापू में फासीसियों ने एक एलान प्रकाशित किया है, जिसमें लिखा है कि टीपू ने अपने कुछ विशेष दूत एक जहाज़ में मारीशस भेजे हैं और उन दूतों के ज़रिये अंगरेजों के विरुद्ध फासीसियों के साथ मेल करने का विचार प्रकट किया है, इत्यादि । इसी इलज़ाम को बिना पर विना टीपू से कोई पूछ ताछ किए कारवाई शुरू कर दी गई। जून सन् १७६८ को मार्किस वेल्सली ने इस फासीसी एलान की एक कापी मद्रास के गवरनर हैरिस के पास भेजी और उसे आदेश दिया कि तुम तुरन्त टीपू के विरुद्ध सेना जमा करो। इसके बाद २० जून सन् १७६ को वेल्सली ने हैरिस को एक दूसरे पत्र द्वारा अपने "अन्तिम निश्चय" की सूचना दी और लिखा कि-"मैं समुद्र तट पर सेना एकत्रित करने का पक्का निश्चय कर चुका हूँ।" इस पत्र में "टीपू पर अचानक हमला करना" वेल्सली ने अपना “उद्देश" बताया, और अन्त में इस बात पर जोर दिया कि इस सारे मामले को "गुप्त" रखना "अत्यन्त आवश्यक है। my final determination to assemble the army upon the coast with the object of striking a sudden blow against Tipoo, . , you will of course feel the absolute necessity of keeping the contents of this letter secret "-Marquess wellesley to General Harris, 20th June, 1798.
पृष्ठ:भारत में अंगरेज़ी राज (दूसरी जिल्द).djvu/२४
दिखावट