साम्राज्य विस्तार ६५५ सका। बेल्सली ने किलेदार को कहला भेजा कि किला अंगरेजों के हवाले कर दो। किलेदार ने कुछ सङ्कोच दिखलाया। किले पर गोलेवारी करने की आवश्यकता हुई। सर जेम्स कैम्पबेल ने "अहमदनगर गैजेटीयर" पृष्ठ ६६५ पर लिखा है- "जब नगर पर कब्जा करने के बाद ६ अगस्त को जनरल वेल्सलो ने किले का चकर लगाया तो मालूम हुआ कि चारों भोर के पुरतों (बाल जमीन ) ने किले की दीवार को इतनी पूरी तरह बचा रक्खा था कि गोलाबारी करने के लिए कोई जगह नज़र न पाती थी। तब मिनार के देशमुख रघुराव बाबा को चार हजार रुपए रिशवत दी गई और उसने पूरब की ओर से हमखा करने का एक स्थान अंगरेज़ों को बता दिया ।" ___ न जाने कितने रघुराव बाबाओं को इस प्रकार रिशवते दी गई होंगी ! दो दिन तक नाम मात्र को कुछ लड़ाई हुई। अन्त में ११ अगस्त को किलेदार ने किला अंगरेजों के लिए खाली कर दिया। लिखा है-"इस शर्त पर कि किलेदार और उसकी सेना को सही सलामत बाहर निकल जाने दिया जाय और उसकी निजी जायदाद उसके कब्जे में रहने दी जाय ।" जनरल वेल्सली लिखता है कि जब अंगरेज़ किले में घुसे "तब किला निहायत अच्छी हालत में था।" स्पष्ट है कि अहमदनगर के किले की दीवारें • "When alter capturing the town General Wellesley reconnoitred the fort on the 9th August the complete protection which the glacis afforded to the wall made at dificult to fix on a spot for bombardment. Raghu Rao Baba, the Deshmukh of Bhingar, received a bribe of tour hundered pounds (Rs 4,000) and advised an attack on the East face "-" Ahmednagar Caset- teer,"-edited by Sir James Campbell, page 695.
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