सामग्री पर जाएँ

पृष्ठ:भारत में अंगरेज़ी राज (दूसरी जिल्द).djvu/२४७

विकिस्रोत से
यह पृष्ठ अभी शोधित नहीं है।
६५६
भारत में अंगरेज़ी राज

६५६ भारत में अंगरेजी राज चांदी अथवा सोने की गोलियों से तोड़ी गई, लोहे की गोलियों से नहीं। १३ अगस्त को वेल्सली ने उसी तरह का एक दूसरा एलान प्रकाशित किया जिसमें "कम्पनी और पेशवा की ओर से" कप्तान प्रैहम को अहमदनगर और उसके पास के सब इलाके का प्रबन्ध करने के लिए नियुक्त किया । वेल्सलो स्वयं प्रैहम की सहायता के लिए कुछ दिन अहमदनगर में रह कर १८ अगस्त को अपनी सेना सहित औरङ्गाबाद की ओर बढ़ा। अहमदनगर के इलाके के ऊपर वेल्सली ने "कम्पनी और पेशवा" के नाम पर कब्जा किया। पेशवा ही पेशवा से गोल मराठा साम्राज्य का प्रधान और सींधिया राज मोल वादा का न्याय अधिराज था। न्याय और कायदे के अनुसार यह इलाका तुरन्त पेशवा के सुपुर्द हो जाना चाहिए या और पेशवा ही की इच्छा के अनुसार उसका प्रबन्ध होना चाहिए था। पेशवा भीतर से अंगरेजों की इस सारी कारवाई से असन्तुष्ट था, किन्तु लाचार था। इसलिए अहमदनगर पर कब्जा करते ही वेल्सली को एक कठिनाई का सामना करना पड़ा। एक ओर वह इस इलाके पर अंगरेज़ों का पूरा अधिकार चाहता था और दूसरी ओर किसी तरह झूठे सच्चे वादो से पेशवा को भी सन्तुष्ट रखना ज़रूरी था। १३ अगस्त को वेल्सली ने पूना के रेजिडेण्ट करनल कोज़ को लिखा- ___ "मुझे इस बात की बड़ी चिन्ता है कि अहमदनगर के विषय में पेशवा