पृष्ठ:भारत में अंगरेज़ी राज (दूसरी जिल्द).djvu/२५३

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भारत में अंगरेज़ी राज

६६२ भारत में अंगरेजी राज निस्सन्देह भारतीय नरेशों के मन्त्रियों को रिशवते देकर उनसे अपने स्वामियों के साथ विश्वासघात कराना उन दिनों अंगरेज़ कम्पनी की एक सामान्य नीति थी। हैदराबाद और पूना दोनों क्रवारों की इस समय यही हालत थी। युद्ध के समाप्त होते ही अहमदनगर के विषय में ११ नवम्बर सन् १८०३ को जनरल वेल्सली ने गवरनर पेशवा को अहमद जनरल को साफ लिख दिया कि जो इलाका नगर देने का ___ हमने जीता है, उसका कोई भाग पेशवा को न दिया जाय, "अहमदनगर का किला अंगरेज सरकार ही के कब्जे में रहे।" और 'सूरत अवेसी' जो पेशवा ही का इलाका था, पेशवा को लौटा दिया जाय, इस शर्त पर "कि पेशवा बसई की सन्धि में कुछ और परिवर्तन करना और नई शर्ते जोड़ना स्वीकार कर ले।"* अब हम फिर जनरल वेल्सली और उसकी सेना की ओर आते हैं। १८ अगस्त को जनरल वेल्सली ने अहमद दौलतराव की नगर छोड़ा और करनल स्टीवेन्सन की सेना के तैयारी साथ मिलने के उद्देश से २४ अगस्त को प्रश्न councils in order that we may check hum in time when it may be necessary" -General Wellesley's letter to Colonel Close, dated 28th September, 1803, before thus terntory (Surat Attavesy) should be ceded to His Highness the Peshwa, he ought to be required to consent to the impro- vement of the defensive allhance . "-letter from General wellesley tor the Governor-General, dated 11th November, 1803