पृष्ठ:भारत में अंगरेज़ी राज (दूसरी जिल्द).djvu/२५८

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साम्राज्य विस्तार

साम्राज्य विस्तार ६६७ कि उनके यूरोपियन अक्रसरों में से अंगरेज अफसर शत्रु की पोर चले गए थे।xxx" प्राण्ट डफ लिखता है कि गवरनर जनरल के जिस एलान पर इन लोगों ने अपने मालिक सींधिया के साथ विश्वासघात किया वह अंगरेज़ों के अलावा यूरोपियन अफसरों और यहाँ तक कि सींधिया के हिन्दोस्तानो अफसरों के नाम भी जारी किया गया था। ऊपर लिखा जा चुका है कि इन लोगों में से कुछ युद्ध छिड़ते ही अंगरेज़ों की ओर भागए और शेष ठीक मौके पर काम देने के लिए दौलतराव की सेना में बने रहे। ___ रहा सींधिया का जबरदस्त तोपखाना, सो उसकी अधिकांश तो बैलों के न होने के कारण मोरचे पर लाई भी न जा सकीं। __इस पर भी यदि दौलतराव सींधिया २३ सितम्बर को स्वयं असाई के मैदान में मौजूद होता तो सम्भव है कि भारत का उसके बाद का इतिहास किसी दूसरे ही ढङ्ग से लिखा जाता । सींधिया की अनुपस्थिति में भी उसके कुछ नमक हलाल सैनिकों ने बड़ी वीरता के साथ शत्रु का मुकाबला किया । अंगरेजों ही के अनुसार अंगरेजों के हताहतों की संख्या ५७५ गोरे और १,४५६ हिन्दोस्तानी थी और उनके २६ श्रादमी लापता रहे । सींधिया के हताहतों की संख्या अंगरेजों के अनुसार १२०० थी। • "Most of Scandhia's battalions (at Assye) laboured under disadvan- tages by the cessation of the British part of their European officers, . . " -History of the Marathas by Grant Duff. page 574