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पृष्ठ:भारत में अंगरेज़ी राज (दूसरी जिल्द).djvu/२६१

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६७०
भारत में अंगरेज़ी राज

६७० भारत में अंगरेज़ी राज इसमें उसने वेल्सली से प्रार्थना की कि इस अकारण युद्ध को बन्द करके सुलह की शर्ते तय कर ली जायें। दुर्भाग्यवश बालाजी कुञ्जर का यह महत्वपूर्ण पत्र वेल्सली के छपे हुए पत्र व्यवहार में कहीं नहीं है । ५ अक्तूबर सन् १८०३ को वेल्सली ने इस पत्र के उत्तर में बालाजी को जो पत्र लिखा उससे मालूम होता है कि बालाजी ने अपने पत्र में निम्न लिखित बातें दर्शाई थीं। यह कि दौलतराव सींधिया का इरादा अंगरेजो के या किसी के साथ भी लड़ने का न था; दौलतराव ने अन्त समय तक शान्ति और समझौते द्वारा सब बात तय कर लेने की पूरी कोशिश की, किन्तु अंगरेज़ सदा गोल मोल बात करते रहे। उन्होंने एक बार भी अपनी मांगों और शिकायतों को साफ़ साफ़ नहीं बताया, यहाँ तक कि युद्ध की कोई बाज़ान्ता अन्तिम सूचना भी सींधिया को नहीं दी गई और सींधिया के इलाके पर हमला कर दिया गया। इन सब बातों के अलावा बालाजी ने अपने पत्र में महाराजा सींधिया की ओर कॉलिन्स के अनुचित व्यवहार को भी पूरी तरह दर्शाया, और अन्त में प्रार्थना की कि वृथा रक्तपात को बन्द करके सुलह की बातचीत की जाय। किन्तु जनरल वेल्सली उस समय अपनी विजय के नशे में था। उसे अभी तक अपनी कूटनीति से बहुत कुछ आशा थी। दूो और उसके साथ के १५ और यूरोपियन विश्वासघातक अभी तक सींधिया की विशाल पैदल सेना के साथ थे। इस सेना से कुछ बरहानपुर पर