पृष्ठ:भारत में अंगरेज़ी राज (दूसरी जिल्द).djvu/२६२

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साम्राज्य विस्तार

साम्राज्य विस्तार श्रादमी अब उत्तर की ओर सींधिया के बरहानपुर और असीरगढ़ के किलों की रक्षा के लिए पहुँच गए। वेल्सली को विश्वास था कि दूपों और उसके साथियों की सहायता से अंगरेज़ आसानी से उन दोनों किलों पर कब्ज़ा कर लेंगे । वेल्सली का विश्वास पक्का था, इसीलिए उसने बालाजी के पत्र की ओर उस समय कोई ध्यान न दिया । वेल्सली ने जब देखा कि स्टीवेम्सन को मराठा सेना का पीछा और मुकाबला करने में सफलता न हो सकी, तो यह कार्य उसने अपने ऊपर लिया और स्टीवेन्सम को उत्तर की ओर बढ़ कर बरहानपुर और असीरगढ़ के किलों पर कब्ज़ा करने और बरहानपुर के अत्यन्त धन सम्पन्न नगर को लूटने की आशा दी। महाराजा सोंधिया और बरार के राजा की सेनाएं श्रसाई की लड़ाई के बाद निजाम के इलाके से हट कर पहले खानदेश की ओर बढ़ती हुई मालूम हुई और फिर तापती नदी पार करके पच्छिम और फिर दक्खिन की ओर जाती नज़र आई। ___ स्टीवेन्सन बरहानपुर की ओर बढ़ा। १५ अक्तूबर को स्टीवेन्सन ने बड़ी आसानी से बरहानपुर पर कब्जा कर लिया और नगर को खूब लूटा। इसके बाद १७ को वह असीरगढ़ की ओर बढ़ा। सोंधिया की वह सेना जो दूपों के अधीन बरहानपुर और सौंधिया के .. असीरगढ़ की रक्षा के लिए नियत थो, बजाय यूरोपियन नौकरों की नमकहरामी स्टीवेन्सन का सामना करने या असीरगढ़ की ओर जाने के, रास्ता छोड़ कर नरबदा की ओर