पृष्ठ:भारत में अंगरेज़ी राज (दूसरी जिल्द).djvu/२७६

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साम्राज्य विस्तार

साम्राज्य विस्तार ६५ को कदापि न तोड़ सकते।" बुडिङ्गटन के इसी पत्र में यह भी लिखा है कि इस किले की सेना सींघिया की बफादार साबित नहीं हुई और किले के दरवाजे खोलने में सोने की चाबी ने अंगरेजों को खासी मदद दो। गुजरात में अब दौलतराव सींधिया का कोई इलाका न रहा अथवा जितना इलाका अंगरेजों ने माघोजी सींधिया को उसकी देशघातकता के इनाम में दिया था वह सब अब दौलतराव सींधिया से सदा के लिए छिन गया। उड़ीसा का अधिकांश भाग उस समय मराठों के अधीन था। नागपुर के भोसले राजाओं का उस भाग पर उसा प्रान्त आधिपत्य था। प्रान्त के अनेक स्थानीय राजा भोसले को खिराज दिया करते थे। कम्पनी की बालेश्वर की कोठी मराठों ही के इलाके में थी और उस कोठी के अंगरेज़ मराठों की प्रजा थे। जिस समय मुग़ल सम्राट ने उड़ीसा प्रान्त की दीवानी कम्पनी को प्रदान की थी, उस समय केवल उत्तर की ओर के उस थोड़े से भाग की दीवानी कम्पनी को दी गई थी, जो मुर्शिदाबाद .. the garrison offered to capitulate To these ternus I agreed, . . they however tacked other stupulations to the capitulation, e, that I should agree to pay them the arrears due from Scindhia, . they agreed to the onginal terms, . . . "Could they have obtained possession of the upper fort, or Bala Killa, at the top of the mountain, I am inchned to think it utterly impregnable." -Colonel Woodington's letter to Colonel Murray dated 21st September, 1803