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भारत में अंगरेज़ी राज

भारत में अंगरेजी राज के हाथों में आ गया। उसी दिन करनल वुडिङ्गटन ने जनरल वेल्सली को सूचना दी कि किले के अन्दर की “अरब सेना ने बहुत ज़ोहरे के साथ मुकाबला किया।" अरव सैनिक उन दिनों प्रायः समस्त भारतीय नरेशों के यहाँ रहते थे और सदा बड़ी वफ़ादारी और जॉनिलारी के साथ अपने स्वामी की सेवा करते थे। अगले दिन बुडिल्टन ने फिर लिखा- ____ "इजीनियर ने १ बजे सुबह को मुझ से भाकर कहा कि किले में जाने के लिए काफी रास्ता बन गया है, मैंने प्रवेश करने का इरादा कर लिया किन्तु मैं तीन बजे शाम तक रुका रहा xxx क्योंकि मैं समझता था कि बहुत करके उस समय ही शत्रु अचेत और असावधान होंगे।" आस पास के सींधिया के सारे इलाके पर अंगरेज़ों का कब्जा हो गया। यह समस्त विजय गायकवाड़ के खर्च पर और उसी की सेना द्वारा की गई, किन्तु जो इलाका इस सेना ने जीता उसका गायकवाड़ से कोई सम्बन्ध नहीं रक्खा गया। भडोच के अतिरिक्त गुजरात में सींधिया का एक और किला पवनगढ़ था। चम्पानेर का सारा जिला इस किले के अधीन था। भडोच के बाद करनल विजय बुडिङ्गटन ने पवनगढ़ की राह ली। १७ सितम्बर की शाम तक यह किला भी अंगरेजों के हाथों में आ गया। इस किले के विषय में वुडिङ्गटन ने अपने एक पत्र में लिखा कि-"यदि इस किले के अन्दर की सेना वाला किले यानी पहाड़ की चोटी पर के किले पर कब्जा कर लेती, तो मैं समझता हूँ, हम उस किले पवनगढ़