पृष्ठ:भारत में अंगरेज़ी राज (दूसरी जिल्द).djvu/२७९

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भारत में अंगरेज़ी राज

क्राता भारत में अंगरेजी राज किन्तु एक तो कूटनीति में मराठे अंगरेज़ों का मुकाबला न जगनाथपुरी पर ___कर सकते थे, दूसरे इस युद्ध के लिए अंगरेजों " की तैयारो वर्षों पहले से हो रही थी और मराठों की कोई तैयारी न थी। करनल कैम्पबेल के नाम गवरनर जनरल के जिस पत्र का ऊपर जिक्र किया गया है, वह तक युद्ध के एलान से तीन दिन पहले का लिखा हुआ था। नतीजा यह हुआ कि उड़ीसा में अंगरेज़ों को करीब करीब कुछ भी लड़ाई लड़नी नहीं पड़ी। गाम की सेना ने बिना रक्तपात १४ सितम्बर को मानिकपतन पर और १८ को जगन्नाथपुरी पर कब्जा कर लिया। उत्तर की ओर कप्तान मॉरगन के अधीन एक दूसरी सेना ने कलकत्ते से जल के रास्ते श्राकर बालेश्वर पर बालेश्वर पर चढ़ाई की। बालेश्वर के किले की मराठा सेना ने अंगरेजों का मुकाबला किया, किन्तु बालेश्वर की पुरानी बस्ती के ज़मींदार प्रह्लाद नायक ने मराठों के विरुद्ध अंगरेज़ों को मदद दो और २१ सितम्बर सन् १८०३ को बालेश्वर अंगरेजों के हाथों में आ गया। बाजारों में मुनादी करवा दी गई कि प्रान्त पर अंगरेज़ कम्पनी का कब्ज़ा हो गया। गञ्जम वालो सेना जगन्नाथपुरी पर कब्ज़ा करने के बाद करनल हारकोर्ट के अधीन कटक की ओर बढ़ी। बाराबट्टी पर कटक का किला जिसे बाराबट्टी भी कहते थे, बहुत मज़बूत था। किले के चारों ओर ३५ फुट