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पृष्ठ:भारत में अंगरेज़ी राज (दूसरी जिल्द).djvu/२८०

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साम्राज्य विस्तार

साम्राज्य विस्तार से लेकर १२५ फुट तक चौड़ी खाई थी, जिसमें २० फुट गहरा पानी था। किले में जाने के लिए केवल एक संग पुल था। करनाल हारकोर्ट २४ सितम्बर को पुरी से चल कर १० अक्तूबर को कटक पहुँचा। कटक का नगर बिना किसी मुकाबले के फौरन अंगरेजों के हाथों में श्रागया। चार दिन के बाद १४ अक्तूबर को बारावही का मज़बूत किला भी अंगरेजों के कब्जे में आगया। इस किले की संरक्षक सेना में से भी कुछ ने अपने स्वामी राघोजी भोसले के साथ दगा की। इसके कुछ समय बाद उत्तर और दक्खिन की अंगरेजी सेनाएँ दोनों आपस में मिल गई । बालेश्वर और का कटक के बीच में मयूरभञ्ज और नीलगिरि नाम की दो रियासतें थीं। मयूरमा की रानी और नीलगिरि के राजा के साथ अंगरेजों की साज़िशे पहले से जारी थीं। जे० बीम्स लिखता है कि एक अलग सैन्यदल खास इस काम के लिए पहले से भेजा गया कि वह :- ____"मयूरमा और नीलगिरि पहादियों का भूगोल सीख ले, खासकर इन पहायों में माने जाने के रास्ते जान ले और दोनों रियासतों के राजाओं से पत्र व्यवहार शुरू कर दे । इन दोनों राजाओं की सब काररवाइयों का पता रखने के लिए उनकी रियासतों में गुप्तचर भेजे गए और यदि उनके कोई वकील या प्रतिनिधि कटक पाना चाहें तो उन्हें पासपोर्ट देने की प्राज्ञा दी गई।" म रानी . . to learn the geography of the Moharbhanj and Nilgiri Hills, especially the passe and to open communications with the Rayas of those ४४