पृष्ठ:भारत में अंगरेज़ी राज (दूसरी जिल्द).djvu/२९६

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साम्राज्य विस्तार

Soy साम्राज्य विस्तार "वे लोग शैतानों की तरह बड़े, बधिक करना चाहिये वोरों की तरह बड़े, और यदि हमने ऐसे से हमला करने का प्रबन्ध न किया होता जैसा कि हमें जबरदस्त से जबरदस्त सेना के लिए, जो कि हमारे मुकाबले में आ सकती थी, करना चाहिए था, तो मुझे पूरा विश्वास है कि जो स्थिति शत्रु की थी, उससे हम हार जाते।" किन्तु यहाँ पर भी लेक के न हारने का कारण उसके “हमले का कोई ढङ्ग" विशेष न था। इसी पत्र में और आगे चल कर लेक साफ लिखता है :- "यदि फ्रान्सीसो अफसर उनके नेता बने रहते तो मुझे डर है कि परिणाम अत्यन्त ही सन्दिग्ध होता । अपने जीवन भर में मैं इतनी बड़ी या इससे मिलती जुलसी आपत्ति में कभी नहीं पड़ा। और मैं ईश्वर से प्रार्थना करता हूँ कि फिर कभी ऐसी हालत में न पर।"* ऐन उस समय जब कि जनरल लेक को पराजय अपने सामने खड़ी दिखाई दे रही थी, मराठा सेना के नेता अंगरेजों की ओर श्रा मिले। जनरल लेक को फिर से श्राशा बँधी और अन्त में • "These fellows fought like Devils, or rather heroes, and had we not nade adisposition for attack in a style that we should have done against the most formidable anny we could have been opposed to, I verily believe, from the position they had taken, we might have tailed " . . . if they had been commanded by French officers, the event would have been, I tear, extremely doubtful I never was in so severe a business in my life or any thing like it, and pray to God I never may be in such a situation agaan "-General Lake's letter marked "Secret" dated 2nd November, 1803, to the Marquess Wellesley ४५