पृष्ठ:भारत में अंगरेज़ी राज (दूसरी जिल्द).djvu/३०२

विकिस्रोत से
यह पृष्ठ अभी शोधित नहीं है।

पच्चीसवाँ अध्याय जसवन्तराव होलकर जसवन्तराव होलकर प्रारम्भ में अपनी अदूरदर्शिता के कारण पेशवा और अन्य मराठा नरेशों के विरुद्ध अंगरेजों के वादों अंगरेज़ों के हाथों में खेलता रहा। जिस समय का मूल्य अंगरेज़ सींधिया और भोसले के साथ युद्ध की तैयारी कर रहे थे, उस समय वे जसवन्तराव की खुशामद में लगे हुए थे। जुलाई सन् १८०३ में जनरल वेल्सली ने कादिर नवाज़ खां को एक गुप्त पत्र सहित जसवन्तराव के पास भेजा और कादिर नवाज़ ख़ाँ द्वारा जसवन्तराव से यह वादा किया कि यदि श्राप अंगरेजों के विरुद्ध महाराजा सींधिया और राजा राघोजी भोसले को सहायता न देंगे तो अंगरेज़ अमुक अमुक इलाके सींधिया से