पृष्ठ:भारत में अंगरेज़ी राज (दूसरी जिल्द).djvu/३२६

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७३५
जसवन्तराव होलकर

७३५ जसवन्तराव होलकर साज़िशों में अंगरेजों को और अधिक सफलता न हो सकी। अमीर खाँ भी एक दर्जे तक सन्दिग्ध खेल ही खेलता रहा। इस लिए एक अोर करनल मरे और जनरल वेल्सली दोनों की असफलता और दूसरी ओर जनरल लेक के "गुप्त उपायों" का न चल सकना इन सब बातों से जनरल लेक का दिल बिलकुल टूट गया। १२ मई को एक “प्राइवेट" पत्र में उसने गवरनर जनरल को सलाह दी कि होलकर के साथ युद्ध बन्द कर देना चाहिए । इस पर २५ मई सन् १८०४ को विवश होकर गवरनर जनरल ने जनरल लेक, जनरल वेल्सली और मद्रास तथा बम्बई के गवरनरों सब को लिख दिया कि जसवन्तराव होलकर के साथ युद्ध बन्द कर दिया जाय और तुरन्त समस्त सेनाएँ युद्धक्षेत्र से वापिस बुला ली जाय । ____३० मई को गवरनर जनरल ने जनरल वेल्सली को दक्खिन से कलकत्तं बुला लिया और दक्खिन की सेनाओं का सेनापतित्व उसकी जगह करनल वैलेस को सौंप दिया। किन्तु इससे कुछ ही पहले लेक ने एक अत्यन्त गर्व पूर्ण पत्र में जसवन्तगव को लिख दिया था कि अंगरेज सरकार और उसके साथी आपकी “शक्ति नष्ट अंगरेजों की हार र करने का निश्चय कर चुके हैं।" इसके बाद जसवन्तराव के लिए चुप बैठना असम्भव था। उसने अपनी सेना को अंगरेज़ी सेना पर हमला करने की प्राज्ञा दे दी। अंगरेजों की एक सेना उस समय करनल फॉसेट के अधीन बुन्देलखण्ड में मौजूद थी। २१ मई की रात को होलकर के करीब