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पृष्ठ:भारत में अंगरेज़ी राज (दूसरी जिल्द).djvu/३२७

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७३६
भारत में अंगरेज़ी राज

७३६ भारत में अंगरेजी राज पाँच हज़ार पिण्डारी सवारों ने इस सेना पर हमला किया। करनल फॉसेट लिखता है कि अंगरेजों को अपने गुप्तचरों द्वारा इस हमले का पहले से पता लग गया था, और मुकाबले के लिए अंगरेजी सेना कूच नामक स्थान के निकट तैयार कर ली गई थी। फिर भी अंगरेज़ी सेना ने बड़ी बुरी तरह हार खाई और होलकर के पिण्डारी सवार अंगरेजों की अनेक तो, बन्दूके, गोला बारूद, गाड़ियाँ इत्यादि उठा कर ले गए और कम्पनी के एक एक अंगरेज़ और देशी अफ़सर और सिपाही को मैदान में काट कर खत्म कर गए ।* निस्सन्देह जान और माल की हानि के अतिरिक्त यह हार अंगरेजों के लिए बड़ी जिल्लत की हार थी। लेक ने इसके विषय में २८ मई को गवनर जनरल के नाम एक अत्यन्त दुखभरा पत्र लिखा, और करनल फॉसेट को, जो मैदान से कुछ ही दूर चार पलटन देशी सिपाही और ४५० गोरे सिपाहियों सहित मौजूद था, किन्तु सम्भवतः पिण्डारियों के मुकाबले का साहस न कर सका, इस कर्तव्य विमुखता के लिए बरखास्त कर दिया। ____२५ मई को गवरनर जनरल ने लेक को युद्ध बन्द कर देने के लिए लिखा । उस पत्र को पाने से पहले हो २८ मई को लेक ने गवनर जनरल को इस दुर्घटना की सूचना दो। अंगरेजों के लिए अब अपनी इस जिल्लत को धोना आवश्यक हो गया। . the detachment in the village, consiting of two companies of Sepoys, fifty European artillery, fifty gun luscurs with two 12 pounders, two howitzers, one 6 pounder, and twelve tumbrils, were entirely taken by the enemy, and the men and officers all cut to pieces . "(Wellesley's Despatches, iv, 72-73)