जसवन्तराव होलकर ७३६ मॉनसन के अधीन जसवन्तराव होलकर के राज पर हमला करने के लिए भेजा। लेक की योजना यह थी कि पश्चिम में गुजरात की ओर से करनल मरे फिर होलकर के इलाके उज्जैन पर आक्रमण करे और उत्तर की ओर से जनरल मॉनसन होलकर राज में प्रवेश करे, और इसके बाद ये दोनों सेनाएँ मिलकर जसवन्तराव की शक्ति का खात्मा कर दें। गायकवाड़ की सबसीडियरी सेना मरे के साथ और सींधिया की सबसीडियरी सेना मॉनसन के साथ थी। माक्विस वेल्सली ने होलकर के विरुद्ध सींधिया की सब- सीडियरी सेना के अतिरिक्त महाराजा दौलतराव से और अधिक सेना की सहायता माँगी। सींधिया की शिकायतों का ज़िक्र ऊपर किया जा चुका है इसके अतिरिक्त सीधिया को एक बहुत बड़ी कठिनाई धन की थी। पिछले युद्ध से उसकी आर्थिक अवस्था गिरी हुई थी। उसने नई सेना की तैयारी के लिए अंगरेजों से धन की सहायता माँगी, किन्तु अंगरेज़ों ने इनकार कर दिया। सींधिया ने यहाँ तक प्रार्थना की कि यह सहायता मुझे कर्ज के तौर पर दी जाय। पिछली सन्धि के अनुसार सींधिया ने धौलपुर वारी इत्यादि के परगने बतौर ज़मानत कम्पनी को दे दिए थे और यह तय हो गया था कि इन परगनों की मालगुज़ारी में से साढ़े बीस लाख रुपए सालाना कम्पनी महाराजा सींधिया को दिया करेगी। दौलतराव सींधिया ने अब यह कहा कि जो रकम फ़ौज़ के खर्च के. लिए अंगरेज़ इस समय मुझे कर्ज दें वह आइन्दा इस साढ़े बीस लाख सालाना में से काट ली जाय।
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