पृष्ठ:भारत में अंगरेज़ी राज (दूसरी जिल्द).djvu/३४७

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जसवन्तराव होलकर

जसवन्तराव होलकर ७५५ भाप राजा को यह भी बता दीजिये कि अंगरेज़ सरकार के उपर जो ये भाप बगाए जा रहे है कि वह भरतपुर के प्रान्तरिक शासन में किसी तरह का दखल देकर अथवा राजा के इलाकों, उसके क्रिलों, या सेनाओं को कम्पनी की दीवानी या फौजदारी अदालतों के अधीन करने की किसी तरह की कोशिश करके उस सन्धि को तोड़ने का विचार कर रही है, या राजा के दीवानी या फौजदारी शासन में किसी तरह से भी अपना अधिकार बीच में लाना चाहती है, या अन्य किसी तरह से भी मौजूदा सन्धि की शर्तों से फिरना चाहती है, ये सब भाक्षेप झूठे हैं और बदमाशों के फैलाए हुए हैं।" किन्तु इस बार राजा भरतपुर को भुलावा दे सकना दुष्कर था ___एक तो ऊपर के पत्र से ही साबित है कि भरतपुर के राजकीय अंगरेजो के इरादों के सम्बन्ध में राजा भरतपुर मामलों में के चित्त में कुछ काफी गहरे सन्देह पैदा हो गए दस्तनदाजी थे, और इतिहास लेखक मिल के बयान से मालूम होता है कि ये सन्देह सर्वथा निर्मूल भी न थे। मिल लिखता है कि मथुरा के अंगरेज़ रेज़िडेण्ट ने नमक के व्यापारियों के कई व्यापार सम्बन्धी मामले ज़बरदस्ती भरतपुर की प्रजा के विरुद्ध तय कर डाले, जिनसे प्रजा को हानि और राजा को दुख और हैरानी हुई। मिल यह भी लिखता है कि यह ख़बर उन दिनों फैली हुई थी कि अंगरेज़ सरकार भरतपुर के राज के अन्दर कम्पनी को अदालतें कायम करना चाहती है । राजा तक यह खबर भी पहुँच चुकी थी। निस्सन्देह भरतपुर का राजा इस समय समझ रहा था कि • Min, vol, vi, p 420