जसवन्तराव होलकर १७ अत्याचार शुरू कर दिए। इनमें मुख्य बात जिसने एकदम दोश्राब की प्रजा के दिलों को अंगरेज़ों की ओर से फेर दिया, वह नए अंगरेज़ी इलाके के अन्दर गोवध का शुरू हो जाना था। सम्राट बाबर ने, जो अपनी भारतीय प्रजा का सच्चा हित चिन्तक था और समस्त हिन्दू, मुसलमानों और मुग़ल सम्राट अन्य धर्मावलम्बियों को समान दृष्टि से देखता और गोरक्षा था, अपने साम्राज्य में गाय का बध बन्द कर दिया था। हुमायूँ , अकबर और उनके महान उत्तराधिकारियों ने अपने अधिक विशाल साम्राज्यों में इस प्राज्ञा का पालन कड़ाई के साथ जारी रक्खा । अन्त के दिनों के अदूरदर्शी मुग़ल सम्राटों ने भी गोवध के सम्बन्ध में इस उदार और हिनकर नीति को नहीं बदला । इतिहास लेखक विलसन के अनुसार करीब ३०० वर्ष से हिन्दोस्तान में किसी मनुष्य का पेट भरने के लिए एक भी गाय या बैल की हत्या न हुई थी। लेकिन अब मथुरा जैसे पवित्र तीर्थस्थान के अन्दर अंगरेज़ सिपाहियों का पेट भरने के लिए गउएँ कटने पुरा लगीं। मथुरा और दोआब के बाशिन्दों में इससे में गोहत्या ' अपने नए विदेशी शासकों के विरुद्ध घृणा और असन्तोष का उत्पन्न होना स्वाभाविक था । इतिहास लेखक मिल लिखता है कि भरतपुर का राजा अपने पास के इलाके में इस प्रकार गोहत्या की खबर सुनकर और भी दुखित हुआ। दोश्राब की प्रजा ने भरतपुर के हिन्दू जाट राजा को अपना नेता और रक्षक
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