पृष्ठ:भारत में अंगरेज़ी राज (दूसरी जिल्द).djvu/३५६

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भारत में अंगरेज़ी राज

७६४ भारत में अंगरेज़ी राज बरेली में एक सीटन नामक गवरनर जनरल का एक एजण्ट रहा करता था। इस एजण्ट द्वारागवरनर जनरल ने सरदार दोलचासिंह के साथ गुप्त पत्र व्यवहार किया। १० सितम्बर सन् १८०४ को माक्विस वेल्सली ने जनरल लेक को एक “सरकारी और गुप्त" 'पत्र में लिखा - "जमना के उतर जाने के बाद सम्भव है xxx हम दोलचासिह की सहायता का कार्यसाधक उपयोग कर सके। इस लिए मैं उचित समझता हूँ कि आपको यह अधिकार दे दूं कि यदि आप उचित समझे तो इस युद्ध में दोलञ्चासिह की धन की सहायता दे देंxxx"* निस्सन्देह धन खर्च करकं अंगरेजों ने सिखो को होलकर के विरुद्ध अपनी ओर कर लिया । बम्बू खाँ बेगम समरू इत्यादि के साथ अंगरेजों की साज़ियों का ज़िक्र ऊपर किया जा चुका है। परिणाम यह हुआ कि सहारनपुर के पास के इलाके में भी जसवन्तराव का किसी ने साथ न दिया, और अन्त में जसवन्तराव को भरतपुर की ओर लौट थाना पड़ा। इसके बाद भरतपुर के ऐतिहासिक मोहासरे और अंगरेज़ों और होलकर के शेष संग्रामों का वर्णन अगले अभ्यायों में किया जायगा। • " It is possible that the services of this chieftain may eventually be employed with effect when the nver Jumna shall become fordable,] deem it advisable, therefore, to authorize Your Excellency, if you should think proper to subsidize Dolcha Singh, during the war "-Marquess Wellesley's "Official and Secret " letter to General Lake dated 10th September, 1804