पृष्ठ:भारत में अंगरेज़ी राज (दूसरी जिल्द).djvu/३६१

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भरतपुर का माहासरा

भरतपुर का मोहासरा ७६७ इस बात को आप उतने ही ज़ोर के साथ अनुभव करते हैं जितना कि होजकर को गिरफ्तार कर जेना या उसका नाश कर देना बहुत जरूरी है। जब तक उसका नाश न कर दिया जायगा या वह कैद न कर लिया जायगा सब तक हमें शान्ति नहीं मिल सकती। इसलिए मैं पाप पर इस बात के लिए भरोसा करता हूँ कि जहाँ तक भी वह जाय, आप उसका पीछा करने से किसी कारण भी न हटें।" मेजर जनरल फ्रेज़र को अपने काम में जनरल लेक की अपेक्षा अधिक सफलता मिली। ५ नवम्बर को जनरल डीग के बाहर का फ्रेजर सेना लेकर दिल्ली से निकला । होलकर को पैदल सेना और तोपखाना उस समय डीग के पास पहुँच चुके थे, किन्तु होलकर स्वयं डीग से बहुत दूर था। जनरल फेज़र १२ नवम्बर को डीग के निकट पहुँचा। १३ को जसवन्तराव होलकर के पहुंचने से पहले डीग के किले से बाहर दोनों ओर की सेनाओं में लड़ाई हुई। अंगरेजों के बयान के अनुसार उनके ६४३ श्रादमी मैदान में खेत रहे, जिनमें २२ अंगरेज़ अफसर थे। जनरल फ्रेज़र भी इसी लड़ाई में काम पाया। होलकर के हताहतों की संख्या २००० बताई जाती है। होलकर की शेष सेना ने पीछे हट कर डीग के दुर्ग में पनाह ली, जहाँ चन्द रोज़ • "It is unfortunate that Holkar's person should have escaped you, you are equally impressed with me by the absolute necessity of seizing or destroying him. Until his person be either destroyed or imprisoned, we shall have no rest I therefore rely on you to permit no circumstance to davert you from pursuing him to the utmost extremity"