पृष्ठ:भारत में अंगरेज़ी राज (दूसरी जिल्द).djvu/३६६

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७७२
भारत में अंगरेज़ी राज

७७२ भारत में अंगरेजी राज अब राजा रणजीतसिंह से यह कहा कि श्राप होलकर को हमारे हवाले कर दें। किन्तु रणजीतसिंह के स्वाभिमान ने इसकी इजाजत न दी। २६ दिसम्बर को डीग से चल कर ३ जनवरी सन् १८०५ को जनरल लेक भरतपुर श्रा पहुँचा और भरतपुर का मोहासरा शुरू हो गया। भरतपुर का नगर उस समय पाठ मील लम्बा था। चारों ओर बहुत मोटो, ऊँची गारे की दीवार थी, जिसके भरतपुर का बाहर पानी से भरी हुई चौड़ी गहरी खाई थी। मोहासरा नगर के पूर्वी कोने पर भरतपुर का किला था। शहर फ़सील के ऊपर तोपें चढ़ी हुई थीं। रणजीतसिंह की समस्त सेना, होलकर की पैदल सेना व नगर और आस पास की बहुत सी प्रजा इस फ़सील के भीतर थी। होलकर की सवार सेना अंगरेजों को पीछे से दिक करने और उनकी रसद इत्यादि रोकने के लिए कुछ दूर नगर से बाहर रही। ___ ७ जनवरी सन् १८०५ को कम्पनी की सेना ने भरतपुर के . ऊपर गोले बरसाने और फ़सील को तोड़ने के अंगरेजी सेना की " प्रयत्न शुरू किए। 8 जनवरी को एक ओर से पहली पराजय दीवार का कुछ हिस्सा टूटा मालूम हुश्रा। अंगरेजी सेना ने ज्यो त्यो खाई को पार कर उस ओर से नगर में घुसना चाहा। किन्तु नगर के भीतर की भारतीय सेना ने इस वीरता के साथ मुकाबला किया कि बार बार प्रयत्न करने