पृष्ठ:भारत में अंगरेज़ी राज (दूसरी जिल्द).djvu/३६५

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७७१
भरतपुर का माहासरा

भरतपुर का मोहासरा ७७१ से अंगरेज़ी सेना ने खाली किले में प्रवेश किया। इस हमले में अंगरेजो के २२७ आदमी काम पाए । २४ तारीख को डीग का नगर और निर्जन किला दोनों अंगरेजों के हाथों में श्रा गए। ___ डीग की विजय का समाचार सुनकर गवरनर जनरल का हौसला बढ़ गया । २० दिसम्बर १०४ को उसने एक "गुप्त और सरकारी” पत्र में जनरल लेक को लिखा- "किन्तु अब भरतपुर के राजा के बल और उसके सब वसीलों को पूरी तरह वश में कर लेना अनिवार्य और आवश्यक हो गया है, इसलिए मैं श्रापको आदेश और अधिकार देता हूँ कि इस हितकर उद्देश को पूरा करने और भरतपुर राज के समस्त किलों, इलाकों और प्रान्तों को जिस तरह श्राप सब से अधिक उपयुक्त समझे, उस तरह अंगरेजी राज में मिला लेने के लिए श्राप शीघ्र प्रबन्ध करें।" हीग पर कब्ज़ा करते ही अंगरेजों ने श्रास पास के इलाके पर भी कब्जा कर लिया । कहा जाता है कि केवल भरतपुर का नगर राजा रणजीतसिंह के कब्जे में बाकी रह गया था। अंगरेजों ने

  • "The entire reduction of the power and resources of the Raja of

Bharatpur, however, is now become indispensably necessary, and I accor- dingly authorize and direct Your Excellency to adopt immediate arrangments for the attainment of that desirable object, and for the annexation to the British power, in such manner as Your Excellency may deem most consistent with the public interests, of all the forts, territones, and possessions be- longing to the Raja of Bharatpur "-Governor General's letter to General Lake, dated 20th December, 1804, marked "Secret and Official,"