पृष्ठ:भारत में अंगरेज़ी राज (दूसरी जिल्द).djvu/३७३

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भरतपुर का माहासरा

भरतपुर का माहासरा "क्या यह उचित न होगा कि जिस समय आप भरतपुर के मोहासरे की तैयारी कर रहे हों या उस मोहासरे में लगे हुए हों, उसी समय रणजीतसिंह को होलकर से तोड़ने की भी कोशिश की जाय ? यद्यपि भरतपुर विजय नहीं हुआ, फिर भी x x x यदि रणजीतसिंह ने होलकर का साथ छोड़ दिया तो होलकर को कोई पाशा न रहेगी।" आगे चल कर गवरनर जनरल ने लेक को लिखा कि राजा रणजीतसिह से कह दिया जाय कि यदि आप रणजीतसिंह को "होलकर का साथ बिलकुन्त छोड़ देंगे तोxxx प्रलोभन आपका राज श्रापको फिर से वापस दे दिया जायगा।" इसी भरतपुर के राजा के सम्बन्ध में केवल ढाई महीने पहले गवरनर जनरल ने लेक को लिखा था कि “भरतपुर के राजा के सब किले इलाके और प्रान्त अंगरेज़ी गज में मिला लिए जायँ ।" जनरल लेक भी उस समय भरतपुर हड़पने के लिए लालायित था। किन्तु पिछले दो मास के अन्दर स्थिति काफ़ी पलटा खा चुकी थी। लेक को रणजीतसिंह के बल और पराक्रम का अब काफ़ी पता लग चुका था। उसने गवरनर जनरल के उत्तर में लिखा:- • "While the Commander-in-Chief is preparing for the siege of Bharatpur, or actually engaged in it, might it not be advisable to endeavour to detach Ranjit Singh from Holkar? Although Bharatpur has not fallen, Holkar would be hopeless if abandoned by Ranjit Singh " and renounce Holkar altogether, in which case he will be restored to his possessions "