पृष्ठ:भारत में अंगरेज़ी राज (दूसरी जिल्द).djvu/३८७

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भरतपुर का माहासरा

भरतपुर का मोहासरा ७६१ कर लिया था कि भारतवासियों के दिलों पर ब्रिटिश सत्ता का दबदबा फिर से कायम करने के लिए भरतपुर के राजा रणजीतसिंह ओर नागपुर के राजा राघोजी भोसले दोनों को कोई न कोई बहाना निकाल कर हरा दिया जाय और उनके राज को भारत के मानचित्र से मिटा दिया जाय । इसलिए 'विश्वासघात' किस ओर था और 'ईमानदारी के प्रत्येक असूल की इतनी कमी' अंगरेजों की ओर थी या राजा राघोजी भोसले की ओर-यह बात इतिहास से स्पष्ट है। ___ बरार के गजा पर यह इलज़ाम लगाया गया कि तुम होलकर की मदद करना चाहते हो। किन्तु राजा को इस इलज़ाम के विषय में कोई शब्द कहने या पत्र का जवाब देने तक का मौका नहीं दिया गया। इसके विपरीत गजा राघोजी को धोखे में रखने के लिए गवरनर जनरल ने आगे चल कर लिखा है:- __“किन्तु रेजिडेण्ट को हिदायत की गई कि तुम ये सब बातें उस समय तक राजा से न कहना जिस समय तक कि तुम्हें होलकर के साथ जनरल लेक की पहली बड़ाइयों का परिणाम मालूम न हो जाय; सिवाय इसके कि कोई ऐसी परिस्थिति पैदा हो जाय जिसके कारण इन बातों का फ़ौरन कह देना ही तुम्हें उपयोगी और आवश्यक जान पड़े। "साथ ही रेज़िडेण्ट को यह भी आदेश दिया गया कि तुम राजा को विश्वास दिला दो कि जब तक आप स्वयं पिछली सन्धि की शर्तों पर कायम रहेंगे, तब तक अंगरेज़ सरकार भापके साथ अत्यन्त मित्रता का व्यवहार जारी रक्खेगीxxx"* • " The Resident, however, was directed to suspend these representa-