पृष्ठ:भारत में अंगरेज़ी राज (दूसरी जिल्द).djvu/३९

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टीपू सुल्तान

टोयू सुलतान दीवार के ऊपर अपना खेमा लगवाया। कहते हैं कि कुछ ज्योतिषियों ने टीपू से आकर अर्ज की कि आज का दिन दोपहर से सात बड़ी बाद तक श्राप क लिए शुभ नहीं है । इन हिन्दू ज्योतिषियों की सलाह के अनुसार टोपू ने अपने महल में जाकर स्नान किया, हिन्दू कायद से हवन, पूजा और जाप कराया और दो हाथी जिन पर काली भूलें पड़ी थीं और जिनकी झूलों के चारों कोनों में सोगा, चाँदी, मोती और जवाहरात बंधे थे एक ब्राह्मण को दान दिए। इसके बाद उसने अनेक गरीबों और मोहताजों में भोजन वन और धन बँटवाया। दोपहर के समय टोपू अभी भोजन करने के लिए बैठा ही था और अभी पहला ही कौर उसके मुंह में जाने सय्यद सप्रकार पाया था कि किसी ने बाहर से पाकर सूचना दो कि विश्वासघातकों ने सुलतान क विश्वस्त अनुचर सय्यद गफ्फार को, जो उस समय किले का प्रधान सरक्षक था कत्ल कर डाला। टीपू के लिए दूसरा कौर हराम हो मया। खबर सुनते ही वह फौरन दस्तरखान छोड़ कर उठ खड़ा हुआ और घोड़े पर सवार होकर स्वय सय्यद गफ्फार की जगह सान के लिए अपने कुछ खास बास सरदारों सहित पीछे की ओर से किले के अन्दर घुस गया। उधर विश्वासघातको ने सय्यद गफ्फार को खतम करते ही फौरन दीवार पर चढ़ कर सफेद रूमाल दिखा कर बाहर की अंगरेजी सेवा को इशारा किया और पेश्तर इसके टीपू मौके पर की हत्या