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पृष्ठ:भारत में अंगरेज़ी राज (दूसरी जिल्द).djvu/४०४

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भारत में अंगरेज़ी राज

500 भारत में अंगरेज़ी राज ज़ाहिर है कि इस चालीस लाख सालाना की लूट का उस डेढ़ करोड़ सालाना के मुक्त के माल से कोई सम्बन्ध न था, जिसका ऊपर ज़िक्र आ चुका है और जिसका इङ्गलिस्तान भेजा जाना कानूनन् ज़रूरी बताया गया था। ___ जिन भारतीय सरदारों ने पिछले संग्रामों में अपने देशवासियों के विरुद्ध अंगरेज़ों को मदद दी थी, उनमें से कुछ को कॉर्नवालिस ने दिल्ली के दक्खिन और पच्छिम के इलाकों में जागीरें देने की भी तजवीज़ की। किन्तु शायद इस काम को भी पूरा करने का उसे समय न मिल सका। लॉर्ड कॉर्नवालिस की मृत्यु के बाद गवरनर जनरल की कौन्सिल का सीनियर मेम्बर जॉर्ज बारलो सर जार्ज भारत का गवरनर जनरल नियुक्त हुश्रा । यह बारलो वही बारलो था, जिसके मार्किस घेल्सली के माम १२ जुलाई सन् १८०६ के लम्बे निवेदन पत्र का ऊपर ज़िक्र श्रा चुका है, जिसमें बारलो ने मार्किस चेल्सली को सलाह दी थो- "हिन्दोस्तान के अन्दर एक भी देशी रियासत इस तरह की बाकी नहीं रहने देनी चाहिए, जो ब्रिटिश सत्ता के सहारे कायम न हो, या जिसका समस्त राजनैतिक व्यवहार पूरी तरह से ब्रिटिश सत्ता के वश में न हो।" • no native state should be left to exist in India, which as not upheld by the Britush power, or the political conduct of which is not under its absolute control"-Sr George Barlow's memorandum to Maquess Wellesley, dated 12th July, 1803