प्रथम लॉर्ड मिण्टो ८३३ खां और उसके पिण्डारियों का दल । इन दोनों दलों के बीच बराबर प्रतिस्पर्धा और गुप्त प्रयत्न जारी रहे। अन्त में अंगरेजों के सौभाग्य और सम्भवतः उनके प्रयत्नों से तय हो गया कि जसवन्तराव के उन्माद की अवस्था में उसकी रानी तुलसीबाई के नाम पर अमीर खाँ ही राज का समस्त कारबार करे। थोड़े दिनों बाद जसवन्तराव की मृत्यु हो गई। रानी तुलसीबाई ने चार वर्ष के एक लड़के मलहरराव होलकर को गोद ले लिया । इस प्रकार राज के शासन की बाग़ अमीर ख़ाँ के हाथों ही में रही और कम से कम होलकर की ओर से लार्ड मिण्टो का भय बिलकुल दूर हो गया। अमीर खाँ को अंगरेजों ने राजपूतों और अन्य भारतीय नरेशों के विरुद्ध उकसा कर लड़ाना शुरू किया, और होलकर दरबार स्वयं होलकर गज के अन्दर उसी के द्वारा की स्थिति - दलबन्दियाँ और साज़िशें जारी रक्खीं। अंगरेजों और अमीर खाँ की इन साजिशों के विषय में इतिहास लेखक नॉलेन लिखता है- “जो सरदार अंगरेज़ों के अनुग्रह पात्र बने हुए थे, उनमें से एक अमीर खाँ था । x x x पिछली सन्धियों का उल्लंघन करते हुए लॉर्ड मिण्टो ने होलकर के इलाके का एक खासा हिस्सा इस शनस को दे दिया था, और इस आततायी डाकू और हत्यारे और ईस्ट इण्डिया कम्पनी के दरमियान एक बाजाब्ता सन्धि द्वारा मित्रता का सम्बन्ध कायम हो चुका था।xxx होलकर के राज को अखण्डता के विरुद्ध अंगरेज़ों और अमीर खों के बीच ५३
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