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पृष्ठ:भारत में अंगरेज़ी राज (दूसरी जिल्द).djvu/४२८

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भारत में अंगरेज़ी राज

-३२ भारत में अंगरेज़ी राज आँख जाती रही थी, फिर भी उसका चेहरा देखने में बुरा न लगता था, और चेहरे से एक प्रकार का हँसमुखपन और बहादुराना हिम्मत प्रकट होती थी।"* निस्सन्देह जसवन्तराव होलकर से बढ़ कर अंगरेज़ों का जानी दुश्मन उस समय भारत में दूसरा न था। अंगरेज़ों और अमीर र जसवन्तराव के खास दरबारियों में विश्वास- खाँ में साज़िश "" घातक अमीर खाँ अभी तक मौजूद था, जिसने भरतपुर के मोहासरे के समय ३३ लाख रुपए अंगरेजों से लेकर होलकर के सवारों को अंगरेजों के भालो और गोलियों के हवाले कर दिया था। अमीर ख़ाँ के ज़रिए अंगरेज़ों के षड़यन्त्र होलकर के दरबार में बराबर जारी थे। न जाने क्यों और कैसे सन् १८०८ में जसवन्तराव होलकर बीमार पड़ा और फिर एकाएक पागल हो गया। तुरन्त होलकर दरबार के अन्दर दो दल खड़े मृत्यु हो गए । एक मराठों का दल और दूसरा अमीर जसवन्तराव की " The chief feature of Jaswant Rao Holkar's character was that hardy spirit of energy and enterprise which, though, like that of his countrymen, boundless in success, was also not to be discouraged by trying reverses He was likewise better educated than Marathas in general, and could write both the Persian language and his own, his manner was frank, and could be courteous . In person his stature was low, but he was of a very active strong make, though his complexion was dark, and he had lost an eye by the accidental bursting of a matchlock, the expression of his countenance was not disagreeable, and bespoke something of droll humor, as well as of manly boldness "--History of the Marathas, by Captain Grant Duff, p 606