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पृष्ठ:भारत में अंगरेज़ी राज (दूसरी जिल्द).djvu/५१७

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भारतीय उद्योग धन्धों का सर्वनाश

भारतीय उद्योग धन्धों का सर्वनाश १२१ में लिखा है-"बहुत से गाँवों में लोहे गलाने की भटियाँ थीं। पहले ये भट्टियाँ करीब करीब हर गाँव में थीं किन्तु अब यह उद्योग नष्ट कर दिया गया। इस तरह के कारखानों का ठेका जगह जगह अंगरेज कम्पनियों को दे दिया गया । तरह तरह की ज़बरदस्तियों द्वारा इस भारतीय उद्योग धन्धे का नाश हो गया और इसके कारण लाखों भारतीय लोहारों और कोलो की जीविका का अन्त कर दिया गया *" ईस्ट इण्डिया कम्पनी के शासनकाल तक भारतवर्ष में काग़ज़ बनाने के जगह जगह कारखाने थे। सर जार्ज भारतीय काराज़ के वाट ने एशिया के विविध देशों के साथ साथ उद्योग का नाश भारत में कागज़ के बनाने और इस्तेमाल के सम्बन्ध में लिखा है- __"पुराने जमाने में भारत में काग़ज़ बनाने के सम्बन्ध में जिस आदमी ने तफसील से लिखा है वह बकैनन हैमिल्टन है । काग़ज़ बनाने के लिए जो मसाला इस्तेमाल किया जाता था वह सन होता था । सन् १८४० से पूर्व भारत में बहुत सा काग़ज़ चीन से प्राता था। किन्तु इसी समय के करीब लोगों के अन्दर एक भावना पैदा हुई और हाथ से काग़ज़ बनाने के बहुत से हिन्दू और मुसलिम कारखाने सारे देश में कायम हो गए। इन कारखानों के बर्न कागज़ से देश की सारी आवश्यकता पूरी होने लगी। किन्तु जिस समय सर चास बुर ने भारत मन्त्री का कार्य भार सम्हाला उस समय एक हुक्मनामा निकाला गया कि पाइन्दा भारत की सरकार अपने इस्तेमाल • Jungle life in India, by Valentine Ball, Pp 224-25