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पृष्ठ:भारत में अंगरेज़ी राज (दूसरी जिल्द).djvu/५२८

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भारत में अंगरेज़ी राज

६३२ भारत में अंगरेज़ी राज और गवरनर जनरल फ़ौरन कलकत्ते से लखनऊ के लिए चल दिया। लॉर्ड हेस्टिग्स ने १३ अक्तबर सन् १८१४ के अपने निजी रोज़नामचे में लिखा है- अवध के नवाब के "नवाब वज़ीर मेजर बेली के उद्धत प्रभुत्व के नीचे साथ अन्याय हर घण्टे आहे भरता था। उसे यह आशा थी कि मैं इस अन्याय से उसे छुटकारा दिला दूंगा, किन्तु मैंने उसके ऊपर मेजर बेली के प्रभुत्व को रिषट लगा कर और भी अधिक पक्का कर दिया। मेजर बेली अत्यन्त छोटी से छोटी बातों में भी नवाब पर हुकूमत चलाता था। जब कभी मेजर बेली को नवाब से कुछ कहना होता था वह चाहे जिस समय बिना सूचना दिए नवाब के महल में पहुँच जाता था, अपने भादमियों को बड़ी बड़ी तनखाहों पर जबरदस्ती नवाब के यहाँ नौकर रखा देता था, और ये हो लोग नवाब के समस्त कार्यों की खबर देने के लिए मेजर बेली को जासूसों का काम देते थे । इस सब से बढ़ कर मेजर बेली जिस हाकिमाना शान के साथ हमेशा नवाब से बातचीत करता था उसके कारण उसने नवाब को उसके कुटुम्बियों और उसकी प्रजा तक की नज़रों में गिरा रक्खा था।"* • "Nawab-Vazzer had reckoned on being emancipated from the imperious domination of Major Baillhe under which His Excellency groaned every hour, but that I had riveted him in his position, Major Ballie dictated to him in the merest trifies, broke in upon him at his palace without notice, whensoever he (Major Baallre) had anything to prescribe, fixed his (Major Baillie's) creatures upon His Excellency with large salarles, to be spies upon all his actions , and above all, lowered His Excellency in the eyes of his family and is subjects by the magisterial tone which he constantly