नेपाल युद्ध ६४६ गवरनर जनरल को इस समय पता लगा कि नैपाल की सरहद का सब से अधिक नाजुक हिस्सा कुमायूँ और गढ़वाल की ओर का है । कुमायूँ का प्रान्त उस समय नैपाल के अधीन चौतरा बामशाह नामक एक सूबेदार के शासन में था । गवरनर जनरल ने करनल गार्डनर को चौतरा बामशाह के साथ साज़िश करने के लिए नियुक्त किया। इस गार्डनर ने सन् १७६८ में होलकर के यहाँ नौकरी की थी, और विश्वासघात के अपराध में होलकर के यहाँ से निकाला जा चुका था। गार्डनर ने इसलाम की विधि के अनुसार एक मुसलमान स्त्री के साथ निकाह कर रक्खा था। साज़िशे करने में वह अॉफ्टरलोनी के समान सिद्धहस्त था । गार्डनर की मदद के लिए एक और अंगरेज़ डॉक्टर रथरफ़ोर्ड को नियुक्त किया गया, जो गढ़वाल और कुमायूँ में कम्पनी का व्यापारिक एजण्ट और मुरादाबाद में सिविल सर्जन रह चुका था। लिखा है कि डॉक्टर रथरफ़ोर्ड ने सारे कुमायूँ और गढ़वाल भर में अनेक पण्डितों, देशी सिपाहियों और अन्य लोगों को तनखाह दे देकर उनसे जासूसों का काम लिया। कुछ इतिहास लेखकों की राय है कि नेपाल युद्ध के अन्त में अंगरेजों की सफलता का सब से अधिक श्रेय ऑक्टरलोनी और डॉक्टर रथरफ़ोर्ड, इन दो सजनों को ही मिलना चाहिए । गार्डनर और रथरफ़ोर्ड दोनों को पूरी सफलता हुई । कुमायूँ और गढ़वाल के मातहत शासक और वहाँ की अधिकांश प्रजा नेपाल दबार के विरुद्ध अंगरेजों से मिल गई, और अन्त में अप्रैल सन् १८१५ में थोड़ी सी सेना करनल निकोल्स के
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