पृष्ठ:भारत में अंगरेज़ी राज (दूसरी जिल्द).djvu/५७

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टीपू सुल्तान

टीपू सुलतान ४७६ यह बयान एक विज्ञान और प्रामाणिक अंगरेज इतिहास लेखक का है। निस्सन्देह इस विषय में हैदरअली और टीपू सुलतान में अन्तर था। हैदरअली सम्राट अकबर के समान बिलकुल आजाद ख़याल का था। टीपू ईश्वर में अधिक विश्वासी और धार्मिक विचार का था । हैदरअली किसी धर्म को भी पूर्ण या निन्ति न समझता था। टीपू धार्मिक प्रवृत्ति का मनुष्य था और खास कर इसलाम धर्म को मानता था। किन्तु जिस तरह का ईश्वरभक्त और विश्वासी मनुष्य टीपू था उस तरह की धार्मिकता एक चीज़ है और धर्मान्धता बिलकुल दूसरी चीज़ है। अंगरेजों और अंगरेजो के धनकोत भारतीय लेखकों की पुस्तकों में टीपू की धर्मान्धता और गैर मुसलमानों के प्रति उसके अनुचित व्यवहार की इतनी कहानियां दर्ज हैं कि इस विषय में अपनी अन्तिम राय कायम करने से पहले हमने और अधिक खोज को श्रावश्यकता अनुभव की। हम वर्तमान मैसूर राज के पुरातत्व विभाग के विद्वान डाइरेक्टर डॉक्टर शामशास्त्री, मैसूर विश्व- विद्यालय के रजिस्ट्रार श्रीयुत श्रीकान्तिया और वहां के उन अन्य सजनों के अहसानमन्द हैं जिन्होंने इस खोज में हमें हर तरह मदद दी। peculiarly strong and operative conviction of the Superintendence ota Divine Providence His confidence n the protection of God was, Indeed, one of his snares, for he relied upon it to the neglect of other means of safety -History of India, by James Mall