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पृष्ठ:भारत में अंगरेज़ी राज (दूसरी जिल्द).djvu/५७६

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भारत में अंगरेज़ी राज

80 भारत में अंगरेजी राज गायकवाड़ दोनों अंगरेजों के हाथों में थे।बाजीराव ने एलफिन्सटन में कई बार कहा कि ये झगड़े तय करा दिए जायें, किन्तु एलफ़िन्सटन सदा टालता रहा। इनमें गायकवाड़ के साथ पेशवा के झगड़े को कुछ विस्तार . के साथ वर्णन करने की जरूरत है । सन् १७५१ बाजीराव और माजी गायकवाड़ और पेशवा बालाजीराव के बीच एक सन्धि हुई थी, जिसके अनुसार दूमाजो ने गुजरात का प्राधा इलाका पेशवा को दे दिया था। इसी इलाके में अहमदाबाद भी शामिल था। पेशवा ने अपने इस इलाके का मियादी पट्टा फिर से गायकवाड़ के नाम लिख दिया। दूमाजी गायकवाड़ ने वादा किया कि अावश्यकता के समय मैं पेशवा की मदद के लिए १०,००० सवार अपने यहाँ सदा तैयार रक्खूगा, सवा पाँच लाख रुपए सालाना पेशवा को खिराज दिया करूंगा, और एक पृथक रकम सतारा के राजा के ख़र्च के लिए हर साल भेजूंगा। दूमाजी के उत्तराधिकारियों की ओर इस खिराज को और अहमदाबाद की मालगुजारी की कुछ बकाया वर्षों से चली श्रानी थो, जो इस समय तक बढ़ते बढ़ते करीब एक करोड़ रुपए के पहुँच चुकी थी। फतहसिंह गायकवाड़ इस समय बड़ोदा की गद्दी पर था और सर्वथा अंगरेजों के प्रभाव में था । इसलिए बाजीराव ने अनेक बार एलफिन्सटन से कहा कि गायकवाड़ के साथ इस मामले का निबटारा करा दिया जाय, किन्तु एलफ़िन्सटन बराबर टालता रहा।