पृष्ठ:भारत में अंगरेज़ी राज (दूसरी जिल्द).djvu/६०

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भारत में अंगरेज़ी राज

४-२ भारत में अंगरेजी राज में भी अत्युक्ति की काफी मात्रा हो। ____ जो हो, टीपू की इन दोनों प्राशाओं के सम्बन्ध में नीचे लिखी बातें ध्यान देने योग्य हैं। पहला एलान साफ़ युद्ध से सम्बन्ध रखता था, उससे धार्मिक सकीर्णता का कोई सम्बन्ध नहीं। दूसरे के विषय में, अपने और अपने राज के साथ ईसाइयों के विश्वासघात का हैदरअली और टीपू दोनों को काफी कटु अनुभव हो चुका था। यही ईसाई बरसों तक टीपू के राज में सुख और स्वतन्त्रता से रह चुके थे, और जब तक उनके दुष्कृत्य और अपने देश की ओर उनकी विश्वासघातकता अधिक नहीं बढ़ी, उनके साथ कोई छेड़ छाड़ नहीं की गई । टीपू की इस दूसरी पाशा के सम्बन्ध में ठीक ठीक संख्या का या उसमें 'जबरदस्ती' को मात्रा का अनुमान कर सकना भी कठिन है। इसके अलावा ईसाइयों को छोड़ कर मैसूर की बाकी सब हिन्दू और अन्य गैर मुसलिम प्रजा के साथ टीपू के अनुचित व्यवहार का इसमें कहीं ज़िक नहीं। मैसूर की अधिकांश जन सख्या हिन्दू थी और हिन्दुओं के . साथ टीपू के किसी तरह के अनुचित व्यवहार हिन्दुओं के साथ टीप का व्यवहार " का हमें एक भी प्रामाणिक उल्लेख नहीं मिलता। इसके विपरीत अपनो हिन्दू प्रजा के साथ टीपू के उदार और प्रेम भरे व्यवहार की बेशुमार मिसाले उस समय के इतिहास में भरी पड़ी हैं।