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पृष्ठ:भारत में अंगरेज़ी राज (दूसरी जिल्द).djvu/६०२

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१००४
भारत में अंगरेज़ी राज

१००४ भारत में अंगरेजी राज के विप्लव का सुप्रसिद्ध नेता नाना साहब धुन्ध पन्त बाजीराव का दत्तक पुत्र था। पाठ लाख रुपए सालाना को पेनशन का कारण बताते हुए सर जॉन मैलकम ने गवरनर जनरल के नाम जो पत्र लिखा उसका सार इस प्रकार है- ___ “मैं राजा से लेकर रङ्क तक इस देश के सब लोगों के भावों से भली भौति परिचित हूँ, इसलिए मैं निस्संकोच कह सकता हूँ कि अंगरेज़ सरकार का यश और उसकी कुशल दोनों इसी मे हैं कि बाजीराव को कैद करने या मार गलन के बजाय रजामन्दी से उससे पदस्याग करवा कर पेनशन देकर कहीं भेज दिया जाय । यदि उमं मार डाला गया तो लोगों को उस पर दया आएगी, कुछ की आकांक्षाएँ जागेंगी और विदेशी शासन से असन्तुष्ट लोग कभी भी किसी भी नए हकदार के झण्डे के नीचे जमा हो जायेंगे। यदि बाजीराव को कैद कर लिया गया तो भी लोगों की सहानुभूति उसके साथ रहेगी और मराठों के दिलों में एक न एक दिन बाजीराव के भाग निकलने और फिर से अपने देश को आज़ाद करने की प्राशा बनी रहेगी। किन्तु यदि बाजीराव अपनी सेना को बरखास्त करके स्वयं पद त्याग कर दे तो लोगों पर हमारे हित में बहुत अच्छा प्रभाव पड़ेगा।"* अन्तिम पेशवा बाजीराव के समय में पूना की जन संख्या करीब ८ लाख यानी इस समय से चौगुनी थी। बाजीराव के शासन सन उस समय के पूना निवासियों की खुशहाली के में पूना की अवस्था विषय में एक अंगरेज़ यात्री लिखता है- • Kur lifanf Malcoln iol mp24