२००८ भारत में अंगरेजी राज लॉर्ड हेस्टिंग्स अपने पहलो फ़रवरी सन् १८१४ के रोज़नामचे में उस समय के अंगरेज़ रेज़िडेण्टों के कर्तव्यों कम्पनी के रेजिडेण्ट को बयान करते हुए लिखता है :- "देशी नरेशों के साथ सन्धियों करते समय हम उन्हें स्वाधीन नरेश स्वीकार कर लेते हैं। फिर हम उनके दरबारों में अपने रेजिडेण्ट भेजते हैं। ये रेजिडेण्ट बजाय केवल राजदूत का कार्य करने के दरबार के ऊपर अपना ही अनन्य अधिकार जमा लेते हैं; वहाँ के नरेश के सारे निजी कारबार में दखल देने लगते हैं, प्रजा के विद्रोही लोगों को राज के विरुद्ध भड़काते है, और अपने अधिकार का बड़े जोरों के साथ प्रदर्शन करते हैं । अंगरेज सरकार की सहायता पाने के लिए ये रेजिडेण्ट कोई न कोई नया झगड़ा ( या गही का नया अधिकारी ) खड़ा कर लेते हैं। और उस पर इस तरह का रङ्ग चढ़ाते हैं कि अंगरेज़ सरकार पूरे बल से उस मामले को अपने हाथ में ले लेती है; न केवल उस एक बात पर ही, बस्कि रेजिडेण्ट के समस्त व्यवहार पर अपने रेज़िडेण्ट की हर बात का अंगरेज़ सरकार पूरी तरह पत्र लेती है।" • "In our treaties with them we recognise them as independent sovereigns Then we send a Resident to their courts Instead of acting in the character of ambassador, he assumes the functions of a dictator, inter- feres in all their private concerns, countenances refractory subjects against them, and makes the most ostentatious exhibition of this exercise of authornty To secure to himself the support of our Government, he urges some interest which, under the color thrown upon it by him, is strenuously taken up by our Council, and the Government identifies itself with the Resident not only on the single point but on the whole tenor of his conduct" -Private Journal of the Marquess of Hastings, February 1st, 1814, Paning Office reprint
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