पृष्ठ:भारत में अंगरेज़ी राज (दूसरी जिल्द).djvu/६१०

विकिस्रोत से
यह पृष्ठ अभी शोधित नहीं है।
१०१०
भारत में अंगरेज़ी राज

१०१० भारत में अंगरेजी राज साहब से कहा- "इस कुल को और इस राज को इज्ज़त अब तुम्हारे हाथों में है।" राघोजी के मरते ही बाला साहब नागपुर की गद्दी पर बैठा, और अप्पा साहब बाला साहब की ओर से राज बाला साहब का समस्त कारबार चलाने लगा। रेज़िडेण्ट जेनकिन्स ने अंगरेज़ सरकार की ओर से दरबार में जाकर बाला साहब और अप्पा साहस दोनों को बधाई दी। राघोजी की मृत्यु से अंगरेजों को बड़ी खुशी हुई। इतिहास लेखक प्रिन्सेप लिखता है- __ "उस दरबार में जो साज़िशें जारी थीं और जो घटनाएँ उस समय हो रही थीं उनसे यह आशा की जाती थी कि नागपुर राज के साथ सबसीडीयरी सन्धि करने के लिये जिस अवसर की इतने दिनों से प्रतीक्षा थी, वह अब भा पहुँचा।"* राघोजी की मृत्यु का समाचार पाते ही हेस्टिग्स ने जेनकिन्स को लिखा कि तुम जिस तरह भी हो सके, अप्पा की साहब को सबसीडोयरी सन्धि के जाल में फँसाने की कोशिश कगे। इस समय नागपुर के दरबार में जो साज़िशे जारी थीं उन्हें प्रिन्संप ने अपने इतिहास में विस्तार के साथ लिखा है । हमें इन साजिशों के गोरखधन्धे में पड़ने की आवश्यकता नहीं है। इन माजिशों में हो २४ अप्रैल सन् १८१६ माधी रात की सन्धि -- ----- - • "The intrigues and passing occurrences of that court hkewise pro- mised equally to give the long sought opportunity of establishing a subst- diary connection with the Nagpur State ".-History of Polstical and Malitary Transactionsm India, by Prinsep