पृष्ठ:भारत में अंगरेज़ी राज (दूसरी जिल्द).djvu/६११

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तीसरा मराठा युद्ध

तीसरा मराठा युद्ध १०११ को ठीक आधी रात के समय किसी प्रकार अप्पा साहब को घेर कर और डरा कर उससे असहाय राजा पुरुषाजी भोसले की ओर से सबसीडीयरी सन्धि पर हस्ताक्षर करा लिए गए । अप्पा साहब की आयु उस समय केवल २० वर्ष की थी। प्रिन्सेप ने अपनी पुस्तक के दस पृष्ठों में बयान किया है कि यह घोर अत्याचार रात्रि के अन्धकार में किस प्रकार किया गया। इस पाप कर्म में अंगरेजों के मुख्य सहायक अप्पा साहब के दो मन्त्री नागू पण्डित और नारायण पण्डित थे। इस नई सन्धि से अप्पा माहब ने भोसले राज की अधिकांश सेना को बरखास्त करके कम्पनी की सेना को उसकी जगह रख लेना स्वीकार कर लिया और उसके खर्च के लिये २० लाख से ३० लाख तक सालाना देने का वादा किया। ____ जब इस सन्धि की सूचना हेस्टिंग्स के पास पहुंची तो उसने बड़े हर्ष के साथ अपने निजी रोज़नामचे में दर्ज किया- "१ जून सन् १८१६-आज मेरे पास वह सन्धि पत्र पहुँचा है जिसके द्वारा नागपुर वास्तव में हमारे संरक्षण में कम्पनी को एक सामन्त रियासत बन गया। पिछले राजा राघोजी भोसले की अकस्मात मृत्यु के कारण यहाँ के दरबार में इस तरह के अपूर्व आपसी झगड़े खड़े हो गए कि जिनसे मुझे वह कार्य पूरा करने का मौका मिल गया जिसके लिये हम पिछले बारह वर्ष से निष्फल प्रयास कर रहे थे । यद्यपि चतुराई से काम लेना पड़ा है और धन द्वारा अनेक बाधाएँ दूर की गई हैं, फिर भी मैं यह कह सकता हूँ कि मेरी सन्धि के असूल अत्यन्त पवित्र है xxx • " June 1st (1816) This day has brought to me the treaty of