पृष्ठ:भारत में अंगरेज़ी राज (दूसरी जिल्द).djvu/६२८

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तीसरा मराठा युद्ध

तीसरा मराठा युद्ध १०२७ खस्म कर डालते हैं। उस देश में जब जब भाग्य किसी ऐसे भादमी का साथ छोड़ देता है जो पहले कभी महान रह चुका हो और जिससे लोग डरते रहे हो, तब तब उस मनुष्य की जी गति होती है उसकी यह कौवों और गिद्ध वाली मिसाल कुछ बेजा मिसान नहीं है । एक क्षण के अन्दर के सभी खुशामदी, जो कुछ समय पहले उस मनुष्य के लिए झूठ बोलने को तैयार थे, जालसाज़ी करने को तैयार थे, उसकी विषय वासना के सामान जमा कर देने को तैयार थे, उसके लिए दूसरों को जहर दे देने की तैयार थे, वे सब अब उसके विजयी शत्रुओं के अनुग्रह पात्र बनने के लिए लपक लपक कर उस पर दोष लगाते हैं। कोई भारतीय गवरमेण्ट यदि किसी खास आदमी को बरबाद कर देना चाहे तो गवरमेण्ट के लिए अपनी इस इच्छा को केवल प्रकट कर देना कानी है, और २४ घण्टे के अन्दर गवरमेण्ट के पास उस आदमी के विरुद्ध गहरे इलज़ाम और उनके साथ साथ इस तरह की पूरी पूरी और मौके की गवाहियाँ पहुंच जायंगी कि जिन्हें देख कर कोई भी ऐसा मनुष्य, जो एशियाई मूठ से परिचित न हो, उन पर पक्का विश्वास कर लेगा। गनीमत समझना चाहिए यदि उस प्रभागे के जाली दस्तखत किसी खिलाफ कानून पट्टे के नीचे न बना लिए जायें और यदि कोई खिलाफ कानून काराज़ उसके मकान के किसी छिपे हुए कोने में चुपके से न डाल दिया जाय ।"

  • “They considered him a fallen man, and they acted after the kind some

of our readers may have seen in India, a crowd of crows pecking a sick vulture to death No bad type of what happens in that country, as often as fortune deserts one who had been great and dreaded In an instant, all the sycophants who had lately been ready to he for him,to forge for hun to pander for hum, to ponson for him, hasten to purchase the favor of his victonous enemies by