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भारत में अंगरेज़ी राज

१०२८ भारत में अंगरेज़ी राज निस्सन्देह प्रत्येक भारतवासी जानता है कि लॉर्ड मैकॉले का उपरोक्त कथन कितना सत्य है। किन्तु भारत के पिछले दो सौ वर्ष के इतिहास में क्लाइव, वारन हेस्टिंग्स, हॉलवेल, सर एलाइजाह इम्पे, एलफ़िन्सटन और जेनकिन्स जैसे सैकड़ों छोटे बड़े अंगरेजों के कारनामों से यह पूरी तरह साबित है कि इस तरह का झूठ और जालसाज़ी कोई विशेष 'एशियाई' गुण ही नहीं है । इतिहास से यह भी ज़ाहिर है कि भारतीय चरित्र में यह रोग कब से, कैसे और किनके संसर्ग से चमका । इसमें कुछ भी सन्देह नहीं हो सकता कि बाला साहब की हत्या का मुख्य अपराधी रेज़िडेण्ट जेनकिन्स था। बाला साहब को । उस समय के तमाम हालात और उल्लेखों से हत्या का दोषी " मालूम होता है कि अप्पा साहब इस विषय में सर्वथा निर्दोष था। अप्पा साहब को दोषी ठहराने का विचार तक अंगरेजों के चित्त में हत्या के कम से कम एक वर्ष बाद पैदा हुश्रा। फिर भी यदि अप्पा साहब दोषी भी होता तो भी जेनकिन्स और उसके साथियों को या कम्पनी सरकार को उसे दण्ड देने का कोई accusing him An Indian Government has only to let it be understood that it wishes a particular man to be ruined, and in twenty-lour hours at will be furnished with grave charges, supported by depositions so full and circums- tantial, that any person, unaccustomed to Asiatic mendacity, would regard them as decisive It is well if the signature of the destined victim as not counterfeited at the foot of some illegal compact, and if some illegal paper is not slipped into a hiding place in the house"-Macaulay's Essay on Warren Hastings