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पृष्ठ:भारत में अंगरेज़ी राज (दूसरी जिल्द).djvu/६३१

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१०३०
भारत में अंगरेज़ी राज

व्यवहार १०३० भारत में अंगरेज़ी राज निम्सन्देह पेशवा बाजीराव और राजा अप्पासाहब दोनों के साथ कम्पनी के प्रतिनिधियों का व्यवहार इङ्गलिस्तान देशी रियासतों के रियासता के प्रसिद्ध वक्ता एडमण्ड बर्क के निम्न लिखित साथ कम्पनी का ___ शब्दों को बड़ी सुन्दरता के साथ चरितार्थ करता है । बर्क ने पहली दिसम्बर सन् १७८३ को इङ्गलिस्तान की पार्लिमेण्ट के सामने वक्तृता देते हुए कहा था- "ईस्ट इण्डिया कम्पनी ने देश की अन्य रियासतों के साथ जो विश्वास धात किया है उसके सम्बन्ध में मैं अापके सामने नीचे लिखी तीन बातें साबित करने का भाप से वादा करता हूँ । पहली बात मैं यह कहता हूँ कि इमास पहाड़ ( हिमालय पर्वत ) से लेकर x x x रासकुमारी तक xx x भारत में एक भी राज या राजा या नवाब, छोटा या बड़ा, ऐसा नहीं है जिसके साथ अंगरेजों का वास्ता पडा हो और जिसे उन्होंने बेच न डाला हो, मैं फिर कहता हूँ कि बेच न डाला हो, यद्यपि कभी कभी ऐसा भी हुश्रा है कि अंगरेज़ों ने जो कुछ सौदा किया उसे वे अपनी ओर से पूरा न कर सके। दूसरी बात मैं यह कहता हूँ कि एक भी ऐसी सन्धि नहीं है जो अंगरेज़ों ने कभी की हो और जिसे फिर उन्होंने तोड़ा न हो । तीसरी बात मैं यह कहता हूँ कि एक भी राजा या राज ऐसा नहीं है जिसने कभी भी कम्पनी के ऊपर किसी तरह का एतबार किया हो और जो बिलकुल बरबाद न हो गया हो; और कोई भी राजा या राज यदि किसी दरजे तक भी सुरक्षित या खुशहाल है तो वह ठीक उस दरजे तक ही सुरक्षित या खुशहाल है जिस दरजे तक कि उसने अंगरेजी कौम पर लगातार अविश्वास किया और उस क्रीम के साथ अदम्य शत्रुता जारी रखी।