पृष्ठ:भारत में अंगरेज़ी राज (दूसरी जिल्द).djvu/६४

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भारत में अंगरेज़ी राज

भारत में अंगरेजी राज पत्र का हिन्दी भाषान्तर इस प्रकार है:- मोहर टीपू सुलतान श्रीमत् परमहंसादि यथोक्त विरुदांकित अंगेरी श्री स्वामी सच्चिदानन्द भारती जी महाराजकी सेवा में टीपू सुलतान बादशाह का सलाम । श्री महाराज के लिखकर भेजे हुए पत्र से सकल अभिप्राय विदित हुआ। आप जगतगुरु हैं, सर्वलोक के क्षेम और सबकी स्वस्थता के हित आप तपस्या करते रहते हैं। ऐसे ही दया कर इस सरकार के क्षेम और उसकी उत्तरोत्तर अभिवृद्धि के लिए तीनों काल में तपस्या करते हुए ईश्वर से प्रार्थना करने की कृपा कीजिये । आप जैसे महापुरुष जिस देश में निवास करते हैं, उस देश में वर्षा अच्छी होती है, कृषि फूलती फलती है और सदा सुभिक्ष रहता है। आप इतने अधिक दिनों तक परदेश में क्यों रह रहे हैं ? जिस उद्देश से श्री महाराज वहाँ गये हैं उसे शीघ्र अपने अनुकूल सिद्ध करके अपने स्थान को वापस आने की कृपा कीजिये। ____ ता०२६, महीना राजी साल सहर सन् १२२० महम्मदी तदनुसार परीधावी सम्वतसर माघ कृष्णा चतुर्दशी, लिखा हुआ सुमाऊ मुन्शी हुजूर। (हस्ताक्षर टीपू सुलतान ) यह पत्र सन् १७६३ ईसवी का उस समय का लिखा हुआ है जब कि जगद्गुरु किसी कार्य वश कुछ समय के लिए रहेरी मठ से बाहर पूना की ओर गए हुए थे। पत्र जगद्गुरु के एक पत्र के उत्तर