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पृष्ठ:भारत में अंगरेज़ी राज (दूसरी जिल्द).djvu/६४०

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तीसरा मराठा युद्ध

तीसरा मराठा युद्ध १०३७ गर जिन्दा रहा, यह कलङ्क का टीका उसके माथे पर लगा रहा x x x."* ज़ाहिर है कि विजय अंगरेजों की ओर रही । माँडेश्वर नामक स्थान पर सन्धि हुई । होलकर का बहुत सा इलाका कम्पनी के राज में मिला लिया गया। बालक महाराजा ने कम्पनी के साथ सबसीडीयरी सन्धि कर ली। अब्दुल गफूर की सेवाओं के बदले में आज तक उसके वंशजों को कम्पनी की ओर से मालवा में जानोरा की रियासत मिली हुई है। सींधिया के प्रधान सामन्तों को उससे अलग कर लिया गया। होलकर का बहुत सा इलाका छीन कर उसे तीसरे मराठा युद्ध कम्पनी का सामन्त बना लिया गया। भोसले का प्राधा राज छीन लिया गया और सबसी- डीयरी सेना नागपुर में कायम कर दी गई । मराठा सत्ता के प्रधान स्तम्भ पेशवा और उसके राज दोनों का सदा के लिए अन्त कर दिया गया। इस प्रकार तीसरे मराठा युद्ध के साथ साथ मराठा का अन्त • " There would have been a host of about ten thousand armed men todestroy the foreigners, had they lost the battle, but all these hopes were frustrated Little did they know that Nawab Abdul Ghafoor Khan played the part of a traitor to his master, and deserted the field of battle with the force under his command, just at the moment when the English were on the point of loosing the battle, through the loyal and gallant exer- tions of Roshan Beg, the Captain-General of Holkar's artallery The staan of this disgrace clung too irmly to the name of Abdul Ghafoor as long as he lived, "-The Autobiography of Lutufullah, pp 103, 104