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भारत में अंगरेज़ी राज

२०३८ भारत में अंगरेज़ीराज साम्राज्य का अन्त हो गया और हेस्टिंग्स और उसके साथियों को श्राशाएँ पूरी हुई। यह युद्ध मराठा जानि के साथ कम्पनी का अन्तिम महान युद्ध था। इस युद्ध द्वारा कम्पनी के भारतीय गज में ५०,००० वर्ग मील से अधिक की वृद्धि हुई, जिसमें सनाग के राजा के लिए थोड़े से इलाके को छोड़ कर पेशवा के शेष समस्त गज और सींधिया, होलकर और भोसले तीनों के अनेक उर्वर प्रान्त शामिल थे। इन पिछले तीन नरेशों के ये प्रदेश ही बाद में 'मध्यप्रान्त और मध्य भारत' के नाम विख्यात हुए और श्राज तक इन्हीं नामों से पुकारे जाते हैं । राजपूत राजाओं से भी उस रक्षा के बदले में, जो अंगरेजों ने इस युद्ध के समय उनकी की (1), बहुत सा धन और बहुत सी भूमि ले ली गई । इस प्रकार अजमेर के नए ब्रिटिश प्रान्त की रचना हुई। मराठा रियासतों के अतिरिक्त मछेरी, रीवा, सावन्तवाड़ी और करनूल जैसी छोटी छोटो रियासतों के साथ भी हेस्टिग्स ने कई छोटे मोटे संग्राम किए, जिनमें कृत्य उसे अपनी कूटनीति के बल काफी सफलता प्राप्त हुई। हेस्टिंग्स के कृत्यों में केवल एक और वर्णन करने योग्य है। मद्रास प्रान्त में उसने रय्यतवाड़ी और अनस्थायी बन्दोबस्त की उस प्रथा को प्रचलित किया, जिसके कारण वहाँ की प्रजा दिन प्रतिदिन अधिकाधिक दरिद्र होती चली गई।