पृष्ठ:भारत में अंगरेज़ी राज (दूसरी जिल्द).djvu/६४८

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लॉर्ड ऐमहर्ट

लॉर्ड ऐमहर्ट '१०४५ लॉर्ड मिण्टो के पत्रों में साफ़ ज़िक्र श्राता है कि कप्तान कैनिक ने बरमा में वहाँ के राज के विरुद्ध उपद्रव खड़े करने, बरमा दरबार को अंगरेज़ कम्पनी के करने की तजवीजें " साथ सबसीडीयरी सन्धि में फांसने और बरमा की स्वाधीनता का अन्त करने के अनेक प्रयत्न किए । बरमा की सैनिक शक्ति का पता लगाने में भी कैनिङ्ग ने जासूस का खासा अच्छा काम किया । उसने एक पत्र में लॉर्ड मिण्टो को लिखा :- • “यदि गवरमेण्ट का यह विचार हो कि बरमा के राज के अन्दर अपना प्रभुत्व कायम किया आय तो निस्सन्देह इसके लिए यह बहुत ही अच्छा अवसर है, क्योंकि यहाँ की सरकार को निर्वखता और लोगों के प्राम असन्तोष के कारण समस्त देश एक छोटी सी अंगरेजी सेना से काबू में मा जायगा।"* इसका साफ़ मतलब यह है कि कप्तान कैनिक ने वरमा के लोगों में 'असन्तोष' पैदा करना और वहाँ के महाराजा के विरुद्ध साज़िशें करना शुरू कर दिया। कम्पनी के डाइरेक्टरों के नाम लॉर्ड मिण्टो ने १ अगस्त सन् १८१२ के पत्र में लिखा :- "कसान कैनिङ्ग का यह कहना कि इस समय पावा के राज के साथ युद्ध छेष कर अंगरेज़ सरकार प्रमुक अमुक जाम उठा सकती है. निस्सन्देह • " . . . Should it enter into the views of Government to obtain a prepouderating influence in the Burmese dominions, the present was certainly the most favourable moment, as the weakness of the Government and general discontent of the people would put the whole country at the disposal of a very small British force "-Minto's Despatch to the Court of Directors, 4th March, 1812