पृष्ठ:भारत में अंगरेज़ी राज (दूसरी जिल्द).djvu/६४७

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भारत में अंगरेज़ी राज

भारत में अंगरेजी राज अंगरेज़ सरकार की प्रजा हैं, इसलिए इन्हें दूसरों के हवाले करना अंगरेज़ सरकार के असूलों के खिलाफ है ।* कच्छ को स्वाधीन रियासत पर हमला करने और उसकी स्वाधीनता का अन्त कर देने का एक मात्र कारण अंगरेजों ने यह बतलाया था कि कच्छ के कुछ डाकुओं ने काठियावाड़ के कुछ इलाके पर धावा मारा था । काठियावाड़ पेशवा के अधीन था और पेशवा अंगरेज़ों का मित्र था। पिण्डारो डाकुओं के दमन के नाम पर ही अंगरेजों ने समस्त मराठा साम्राज्य के साथ युद्ध छेड़ दिया था। किन्तु अब करीब १५ वर्ष तक लगातार सहस्रों हथियारबन्द डाकू हर साल अंगरेज़ी इलाके से निकल निकल कर बरमी इलाके में लूट मार मचाते रहे और कम्पनी सरकार ने उन्हें 'अपनो प्रजा' कह कर उनका पक्ष लिया। किन्तु बग्मा दरबार को किसी प्रकार सन्तुष्ट रखना और उस ओर भविष्य में अपना साम्राज्य बढ़ाने के कप्तान केनिङ्ग प्रयत्न करना भी श्रावश्यक था। इस काम के लिए कप्तान कैनिङ्ग नामक एक अंगरेज़ को कुछ उपहारों सहित घरमा की राजधानी अावा भेजा गया। कैनिङ्ग ने बरमा के महा- राजा को यह समझाने का प्रयत्न किया कि अंगरेज़ों का इन धावो. के साथ कोई सम्बन्ध नहीं और कम्पनी सरकार बरमा के महाराजा की सच्ची मित्र है। R, Discussions with the • Paners relating to East India affairs, Burmese Government, p 116, para 23