शासन १०५० भारत में अंगरेजी राज श्रासाम के अन्दर इससे पूर्व परस्पर झगड़े, विद्रोह और कुशासन फैला हुआ था। बरमा के महागजा ने प्रासाम पर बरमी " सेना भेज कर इन विद्रोहों को शान्त किया और मेंजी महासिल्व नामक एक सरदार को वहाँ का प्रान्तीय शासक नियुक्त कर दिया। लिखा है कि मेंजी महासिल्व का व्यवहार अपने पड़ोसी अंगरेजों के साथ बड़ी मित्रता का था। इस पर भी गवरनर जनरल ने १२ सितम्बर सन् १८२३ के एक पत्र में मेंजी महासिल्व के मित्रता के व्यवहार को स्वीकार करते हुए डाइरेक्टरों को लिखा-"फिर भी जो निर्बल शासन इससे पहले अासाम में था उसकी जगह एक वीर और उसके मुकाबले में बलवान शासन का वहाँ कायम हो जाना " * अंगरेजों के लिए अहितकर है। इसी पत्र में लिखा है कि अंगरेजों ने अब अासाम की प्रजा को बरमा दरबार के विरुद्ध भड़काना और उनके साथ साज़िश करना शुरू कर दिया । विलसन ने भी उस समय के बरमियों की पराक्रमशीलता और अासाम की अवस्था को वर्णन करते हुए लिखा है कि-"एक ऐस निर्बल राज की which separates the Western provinces of China along the Eastern bounda- ries of Hindustan "-Narrature of the Burmese Har, by HH Wilson, Pp 1,2 yet the substitution of a war-like, and comparatively speaking, powerful Government, in the place of the feeble administration that formerly ruled Assam . "-IVespatch of the Governor-General in Council to the Court ot Directors, dated 12th September, 1823
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