पृष्ठ:भारत में अंगरेज़ी राज (दूसरी जिल्द).djvu/६५४

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१०५१
लॉर्ड ऐमहर्ट

लॉर्ड ऐमहर्ट १०५१ का प्रारम्भ जगह, जिसमें फूट पड़ी हुई थी, एक बलवान और महत्वाकांक्षी पड़ोसी का श्रा जाना" अंगरेजों के लिए खतरनाक है। । कहा गया कि बग्मा का महाराजा हिन्दोस्तान की विविध रियासतों और ख़ास कर मराठो के साथ मिल कर अंगरेजों को भारत से निकालने की तजवीजें कर रहा है। ५ मार्च सन् १८२५ को लॉर्ड ऐमहर्ट ने बरमा दरबार के साथ युद्ध का बाज़ाब्ता एलान कर दिया। सर त बरमा युद्ध एडवर्ड पैजेट उस समय कम्पनी की सेनाओं का प्रधान सेनापति था। दो ओर से बग्मा पर हमला करने का निश्चय किया गया। एक ज़मीन के रास्ते आसाम की ओर से और दूसरे जलमार्ग से रंगून से होकर । सन् १८२३ के अन्त में अर्थात् युद्ध का एलान करने से महीनों पहले एक अत्यन्त विशाल सेना जनरल कैम्पबेल और कप्तान कैनिङ्ग के अधीन जमीन के रास्ते बरमा की सरहद पर भेज दी गई। ____सबसे पहले अंगरेजो ने सिलहट और मनीपुर के बीच की एक छोटी सी स्वतन्त्र रियासत कछाड़ को अपने काबू में किया। ५ मार्च को युद्ध का एलान किया गया और ६ मार्च सन् १८२४ को कछाड़ के भोले राजा गोविन्दचन्द्र नारिन ने अंगरेजों की चालों में आकर अपनी स्वाधीनता एक सन्धि द्वारा उनके हाथ बेच दी। बरमा दरबार अंगरेजो के इन समस्त कार्यों को देख रहा था। कछाड़ ही में अंगरेजों और बरमी सेना के बीच लड़ाई शुरू होगई। जलमार्ग से रंगून पर कब्ज़ा करने के लिए कुछ सेना कलकत्ते से